सच में गंगा स्नान से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं By Vnita kasnia Punjab गंगा स्नान हमारे सनातन धर्म में गंगा नदी को पवित्र नदी माना जाता है और आपने भी सुना होगा कि गंगा स्नान से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं । परन्तु क्या यह सच है या केवल एक भ्रम?आइए मिलकर जानते हैं आखिर ऐसा क्यों कहा जाता है । नमस्कार मित्रों getgyaan पर आपका स्वागत है । हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार एक बार की बात है भगवान शिव और माता पार्वती गंगा किनारे घूम रहे थे । उसी समय माता पार्वती ने देखा कि हजारों श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद भगवान शिव का नाम लेते हुए बाहर निकल रहे हैं ।लोगों को ऐसा करते देख माता पार्वती तो पहले हैरान हो गई । फिर कुछ देर बाद उन्होंने भगवान शिव से पूछा कि हे स्वामी! वैसे तो गंगा के जल को पापनाशनी कहा जाता है फिर भी मुझे इन लोगों को देखकर ऐसा क्यों लग रहा है कि इनमें से अधिकतर लोगों को अपने पापों से मुक्ति नहीं मिली है ।क्या गंगा पहले की तरह पवित्र नहीं रही? माता पार्वती के मुख से ऐसी बातें सुनकर भगवान शिव मुस्कुराते हुए बोले हे देवी आपको ऐसा क्यों लग रहा है? देवी गंगा तो पहले की तरह ही पवित्र और निर्मल है । आपको ये जानकर हैरानी होगी कि अभी आपने जिन लोगों को गंगा स्नान कर बाहर निकलते हुए देखा, वास्तव में उन लोगों ने तो गंगा में स्नान किया ही नहीं ।क्या डुबकी लगाना ही गंगा स्नान है?तब देवी पार्वती पुनः भगवान शिव से बोली हे देवाधिदेव, लेकिन यह कैसे संभव हो सकता है कि आप देख नहीं पा रहे कि अभी भी कुछ लोग गंगा स्नान और डुबकी लगाने में रत है और जो लोग बाहर निकल आए हैं उनके कपड़े भी भीगे हुए है ।यह सुनकर भगवान शिव माता पार्वती के सवाल का जवाब देते हुए बोले है प्रिया ये सभी जल में डुबकी लगाकर निकल रहे हैं । कोई भी गंगा के पवित्र जल में स्नान नहीं कर रहा परंतु मेरी इस बात का रहस्य आप आज नहीं समझ पाएगी ।कल फिर आप मेरे साथ ही आना । तब मेरी सारी बात आपको समझ में आ जाएगी । इतना कहकर भगवान शिव माता पार्वती को अपने साथ साथ लेकर वहाँ से कैलाश को चले गए । अगले दिन माता पार्वती और भगवान शिव के पृथ्वी लोग पर आने से पहले बारिश शुरू हो गई थी । बारिश के कारण पृथ्वी लोग पर कीचड ही कीचड दिखाई दे रहा था ।क्या गंगा स्नान से सारे पाप धुल जाते हैं?यह देख भगवान शिव पहले तो मंद मंद मुस्कुराने लगे और फिर कुछ छण बाद एक लाचार वृद्ध मनुष्य का वेश धारण कर गंगा किनारे पहुँच गए और एक गड्ढे में जाकर सो गए । फिर जब लोगों की भीड इकट्ठी हुई तो वो गड्ढे से निकलने की असफल कोशिश करने लगे । माता पार्वती जो एक वृद्ध महिला के रूप में उस गड्ढे के ऊपर खड़ी थी वो जोर जोर से आवाज लगाने लगी । कोई है जो मेरे वृद्ध एवं असहाय पति को गड्ढे से बाहर निकाल सके । कोई पुण्यात्मा रहम करो और गड्ढे से निकालकर मेरे पति के प्राण बचाओ परंतु जो भी मेरे पति को बाहर निकालने के लिए आएगा उसे मुझे विश्वास दिलाना होगा कि उसने अपने जीवन में कोई पाप ना किया हो नहीं तो वो हाथ लगाते ही जलकर भस्म हो जाएगा ।माता पार्वती की ये बातें गंगा स्नान कर रहे उस रास्ते से निकलने वाले सभी लोग सुनते लेकिन वृद्ध महिला की बातें सुनकर सभी के मन में अपने पापों का ख्याल आ जाता और फिर आगे बढ़ जाते हैं । इतना ही नहीं कई लोग लोकलज्जा और धर्म के डर से भी उस महिला के पास नहीं गए । कई लोगों ने महिला रूपी माता पार्वती से यहाँ तक कहा की तुम इस बुड्ढे को मरने के लिए छोड़ क्यों नहीं देती । इसी तरह कई लोग आए और माता पार्वती की बातें सुनकर वहाँ से चले गए । इसी तरह पूरा दिन बीत गया और शाम हो चली ।एक आदमी जिसे विश्वास था गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैंतब भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा देखा प्रिया गंगा में नहाने वाला कोई भी मुझे बचाने नहीं आया । उसी समय एक युवक हाथ में जलपात्र लिए हर हर महादेव करते हुए वहाँ से निकला । उस युवक को देख माता पार्वती ने उसे भी वही बात बताई और मदद मांगी । वृद्ध महिला रूपी माता पार्वती की बात सुनकर युवक का हृदय करूणा से भराया और उसने शिवजी रूप उस वृद्ध व्यक्ति को गड्ढे से बाहर निकालने की तैयारी की ।यह देख माता पार्वती उसे रोकते हुए कहने लगी कि यदि तुमने कोई पाप ना किया हो तो ही मेरे पति को हाथ लगाना अन्यथा जलकर भस्म हो जाओगे । यह सुन उस युवक ने पूरे आत्मविश्वास के साथ पार्वती जी से कहा कि माता मेरे निष्पाप होने में कोई संदेह नहीं है? देखती नहीं । मैं अभी गंगा नहा कर आया हूँ । भला गंगा में गोता लगाने के बाद भी कोई पापी रहता है क्या । इतना कहकर उसने वृद्ध रूप में गड्ढे में पडे शिव जी को बाहर निकाल लिया ।क्या है वास्तविक गंगा स्नान?यह देख भगवान शिव और माता पार्वती उस युवक पर प्रसन्न हो गए और दोनों ही अपने असली रूप में आ गए और युवक को आशीर्वाद देकर वहाँ से अपने निवास अर्थात कैलाश को लौट गए । तब रास्ते में शिव जी ने माता पार्वती से कहा देखा प्रिया, इतने लोगों में उस युवक ने ही पवित्र गंगा में स्नान किया और बाकी लोग तो गंगा में स्नान करके केवल अपने शरीर को धो रहे थे ।तो मित्रो आप समझ ही गए होंगे कि बिना श्रद्धा और विश्वास के केवल दंभ के लिए गंगा स्नान करने से पाप नहीं धुलते बल्कि इसके लिए आपको अपने मन को श्रद्धावान भी करना आवश्यक होता है । परन्तु इसका मतलब नहीं कि गंगा स्नान व्यर्थ जाता है । इसलिए जिन लोगों के मन में है विश्वास ही नहीं है कि गंगा स्नान से उनके मन के पाप कम हो जाएँगे ।इसी के साथ विदा लेते हैं पोस्ट पसंद आयी हो तो इसे शेयर जरूर करें । पोस्ट की जानकारी के लिए व्हाट्सप्प ग्रुप ज्वाइन करें। ग्रुप ज्वाइन करने के लिए यहाँ क्लिक करें – Whatsapp । धन्यवाद !
सच में गंगा स्नान से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं
गंगा स्नान
हमारे सनातन धर्म में गंगा नदी को पवित्र नदी माना जाता है और आपने भी सुना होगा कि गंगा स्नान से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं । परन्तु क्या यह सच है या केवल एक भ्रम?
आइए मिलकर जानते हैं आखिर ऐसा क्यों कहा जाता है । नमस्कार मित्रों getgyaan पर आपका स्वागत है । हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार एक बार की बात है भगवान शिव और माता पार्वती गंगा किनारे घूम रहे थे । उसी समय माता पार्वती ने देखा कि हजारों श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद भगवान शिव का नाम लेते हुए बाहर निकल रहे हैं ।
लोगों को ऐसा करते देख माता पार्वती तो पहले हैरान हो गई । फिर कुछ देर बाद उन्होंने भगवान शिव से पूछा कि हे स्वामी! वैसे तो गंगा के जल को पापनाशनी कहा जाता है फिर भी मुझे इन लोगों को देखकर ऐसा क्यों लग रहा है कि इनमें से अधिकतर लोगों को अपने पापों से मुक्ति नहीं मिली है ।
क्या गंगा पहले की तरह पवित्र नहीं रही? माता पार्वती के मुख से ऐसी बातें सुनकर भगवान शिव मुस्कुराते हुए बोले हे देवी आपको ऐसा क्यों लग रहा है? देवी गंगा तो पहले की तरह ही पवित्र और निर्मल है । आपको ये जानकर हैरानी होगी कि अभी आपने जिन लोगों को गंगा स्नान कर बाहर निकलते हुए देखा, वास्तव में उन लोगों ने तो गंगा में स्नान किया ही नहीं ।
क्या डुबकी लगाना ही गंगा स्नान है?
तब देवी पार्वती पुनः भगवान शिव से बोली हे देवाधिदेव, लेकिन यह कैसे संभव हो सकता है कि आप देख नहीं पा रहे कि अभी भी कुछ लोग गंगा स्नान और डुबकी लगाने में रत है और जो लोग बाहर निकल आए हैं उनके कपड़े भी भीगे हुए है ।
यह सुनकर भगवान शिव माता पार्वती के सवाल का जवाब देते हुए बोले है प्रिया ये सभी जल में डुबकी लगाकर निकल रहे हैं । कोई भी गंगा के पवित्र जल में स्नान नहीं कर रहा परंतु मेरी इस बात का रहस्य आप आज नहीं समझ पाएगी ।
कल फिर आप मेरे साथ ही आना । तब मेरी सारी बात आपको समझ में आ जाएगी । इतना कहकर भगवान शिव माता पार्वती को अपने साथ साथ लेकर वहाँ से कैलाश को चले गए । अगले दिन माता पार्वती और भगवान शिव के पृथ्वी लोग पर आने से पहले बारिश शुरू हो गई थी । बारिश के कारण पृथ्वी लोग पर कीचड ही कीचड दिखाई दे रहा था ।
क्या गंगा स्नान से सारे पाप धुल जाते हैं?
यह देख भगवान शिव पहले तो मंद मंद मुस्कुराने लगे और फिर कुछ छण बाद एक लाचार वृद्ध मनुष्य का वेश धारण कर गंगा किनारे पहुँच गए और एक गड्ढे में जाकर सो गए । फिर जब लोगों की भीड इकट्ठी हुई तो वो गड्ढे से निकलने की असफल कोशिश करने लगे । माता पार्वती जो एक वृद्ध महिला के रूप में उस गड्ढे के ऊपर खड़ी थी वो जोर जोर से आवाज लगाने लगी । कोई है जो मेरे वृद्ध एवं असहाय पति को गड्ढे से बाहर निकाल सके । कोई पुण्यात्मा रहम करो और गड्ढे से निकालकर मेरे पति के प्राण बचाओ परंतु जो भी मेरे पति को बाहर निकालने के लिए आएगा उसे मुझे विश्वास दिलाना होगा कि उसने अपने जीवन में कोई पाप ना किया हो नहीं तो वो हाथ लगाते ही जलकर भस्म हो जाएगा ।
माता पार्वती की ये बातें गंगा स्नान कर रहे उस रास्ते से निकलने वाले सभी लोग सुनते लेकिन वृद्ध महिला की बातें सुनकर सभी के मन में अपने पापों का ख्याल आ जाता और फिर आगे बढ़ जाते हैं । इतना ही नहीं कई लोग लोकलज्जा और धर्म के डर से भी उस महिला के पास नहीं गए । कई लोगों ने महिला रूपी माता पार्वती से यहाँ तक कहा की तुम इस बुड्ढे को मरने के लिए छोड़ क्यों नहीं देती । इसी तरह कई लोग आए और माता पार्वती की बातें सुनकर वहाँ से चले गए । इसी तरह पूरा दिन बीत गया और शाम हो चली ।
एक आदमी जिसे विश्वास था गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं
तब भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा देखा प्रिया गंगा में नहाने वाला कोई भी मुझे बचाने नहीं आया । उसी समय एक युवक हाथ में जलपात्र लिए हर हर महादेव करते हुए वहाँ से निकला । उस युवक को देख माता पार्वती ने उसे भी वही बात बताई और मदद मांगी । वृद्ध महिला रूपी माता पार्वती की बात सुनकर युवक का हृदय करूणा से भराया और उसने शिवजी रूप उस वृद्ध व्यक्ति को गड्ढे से बाहर निकालने की तैयारी की ।
यह देख माता पार्वती उसे रोकते हुए कहने लगी कि यदि तुमने कोई पाप ना किया हो तो ही मेरे पति को हाथ लगाना अन्यथा जलकर भस्म हो जाओगे । यह सुन उस युवक ने पूरे आत्मविश्वास के साथ पार्वती जी से कहा कि माता मेरे निष्पाप होने में कोई संदेह नहीं है? देखती नहीं । मैं अभी गंगा नहा कर आया हूँ । भला गंगा में गोता लगाने के बाद भी कोई पापी रहता है क्या । इतना कहकर उसने वृद्ध रूप में गड्ढे में पडे शिव जी को बाहर निकाल लिया ।
क्या है वास्तविक गंगा स्नान?यह देख भगवान शिव और माता पार्वती उस युवक पर प्रसन्न हो गए और दोनों ही अपने असली रूप में आ गए और युवक को आशीर्वाद देकर वहाँ से अपने निवास अर्थात कैलाश को लौट गए । तब रास्ते में शिव जी ने माता पार्वती से कहा देखा प्रिया, इतने लोगों में उस युवक ने ही पवित्र गंगा में स्नान किया और बाकी लोग तो गंगा में स्नान करके केवल अपने शरीर को धो रहे थे ।
तो मित्रो आप समझ ही गए होंगे कि बिना श्रद्धा और विश्वास के केवल दंभ के लिए गंगा स्नान करने से पाप नहीं धुलते बल्कि इसके लिए आपको अपने मन को श्रद्धावान भी करना आवश्यक होता है । परन्तु इसका मतलब नहीं कि गंगा स्नान व्यर्थ जाता है । इसलिए जिन लोगों के मन में है विश्वास ही नहीं है कि गंगा स्नान से उनके मन के पाप कम हो जाएँगे ।इसी के साथ विदा लेते हैं पोस्ट पसंद आयी हो तो इसे शेयर जरूर करें । पोस्ट की जानकारी के लिए व्हाट्सप्प ग्रुप ज्वाइन करें। ग्रुप ज्वाइन करने के लिए यहाँ क्लिक करें – Whatsapp । धन्यवाद !
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