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कैसे करें पूजा । वनिता कासनियां पंजाब द्वारा पूजा हमेशा पूर्व या उत्तर की ओर मुँह करके करनी चाहिये, हो सके तो सुबह 6 से 8 बजे के बीच में करें।पूजा जमीन पर आसन पर बैठकर ही करनी चाहिये, पूजागृह में सुबह एवं शाम को दीपक,एक घी का और एक तेल का रखें।. पूजा अर्चना होने के बाद उसी जगह पर खड़े होकर 3 परिक्रमाएँ करें।पूजाघर में मूर्तियाँ 1 ,3 , 5 , 7 , 9 ,11 इंच तक की होनी चाहिये, इससे बड़ी नहीं तथा खड़े हुए गणेश जी, सरस्वतीजी, लक्ष्मीजी, की मूर्तियाँ घर में नहीं होनी चाहिये।. गणेश या देवी की प्रतिमा तीन, तीन शिवलिंग, दो शालिग्राम, दो सूर्य प्रतिमा, दो गोमती चक्र। दो की संख्या में कदापि न रखें। अपने मन्दिर में सिर्फ प्रतिष्ठित मूर्ति ही रखें उपहार, काँच, लकड़ी एवं फायबर की मूर्तियाँ न रखें एवं खण्डित, जलीकटी फोटो और टूटा काँच तुरन्त हटा दें, यह अमंगलकारक है एवं इनसे विपतियों का आगमन होता है।मन्दिर के ऊपर भगवान के वस्त्र, पुस्तकें एवं आभूषण आदि भी न रखें मन्दिर में पर्दा अति आवश्यक है अपने पूज्य माता-पिता तथा पित्रों का फोटो मन्दिर में कदापि न रखेंविष्णु की चार, गणेश की तीन, सूर्य की सात, दुर्गा की एक एवं शिव की आधी परिक्रमा कर सकते हैं।प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर में कलश स्थापित करना चाहिये कलश जल से पूर्ण, श्रीफल से युक्त विधिपूर्वक स्थापित करें यदि आपके घर में श्रीफल कलश उग जाता है तो वहाँ सुख एवं समृद्धि के साथ स्वयं लक्ष्मी जी नारायण के साथ निवास करती हैं तुलसी का पूजन भी आवश्यक है।. मकड़ी के जाले एवं दीमक से घर को सर्वदा बचावें अन्यथा घर में भयंकर हानि हो सकती है।. घर में झाड़ू कभी खड़ा कर के न रखें झाड़ू लांघना, पाँव से कुचलना भी दरिद्रता को निमंत्रण देना है दो झाड़ू को भी एक ही स्थान में न रखें इससे शत्रु बढ़ते हैं।. घर में किसी परिस्थिति में जूठे बर्तन न रखें। क्योंकि शास्त्र कहते हैं कि रात में लक्ष्मीजी घर का निरीक्षण करती हैं यदि जूठे बर्तन रखने ही हो तो किसी बड़े बर्तन में उन बर्तनों को रख कर उनमें पानी भर दें और ऊपर से ढक दें तो दोष निवारण हो जायेगा।. कपूर का एक छोटा सा टुकड़ा घर में नित्य अवश्य जलाना चाहिये, जिससे वातावरण अधिकाधिक शुद्ध हो: वातावरण में धनात्मक ऊर्जा बढ़े।घर में नित्य घी का दीपक जलावें और सुखी रहें।. घर में नित्य गोमूत्र युक्त जल से पोंछा लगाने से घर में वास्तुदोष समाप्त होते हैं तथा दुरात्माएँ हावी नहीं होती हैं।. सेंधा नमक घर में रखने से सुख श्री(लक्ष्मी) की वृद्धि होती है।साबुत धनिया, हल्दी की पांच गांठें,11 कमलगट्टे तथा साबुत नमक एक थैली में रख कर तिजोरी में रखने से बरकत होती है श्री (लक्ष्मी) व समृद्धि बढ़ती है।दक्षिणावर्त शंख जिस घर में होता है,उसमे साक्षात लक्ष्मी एवं शांति का वास होता है वहाँ मंगल ही मंगल होते हैं पूजा स्थान पर दो शंख नहीं होने चाहिये।. घर में यदा कदा केसर के छींटे देते रहने से वहाँ धनात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है पतला घोल बनाकर आम्र पत्र अथवा पान के पत्ते की सहायता से केसर के छींटे लगाने चाहिये।. एक मोती शंख, पाँच गोमती चक्र, तीन हकीक पत्थर, एक ताम्र सिक्का व थोड़ी सी नागकेसर एक थैली में भरकर घर में रखें श्री (लक्ष्मी) की वृद्धि होगी।. घर में पूजा पाठ व मांगलिक पर्व में बाये कंधे पर गमछा रखना चाहिये।

कैसे करें पूजा ।

वनिता कासनियां पंजाब द्वारा

पूजा हमेशा पूर्व या उत्तर की ओर मुँह करके करनी चाहिये, हो सके तो सुबह 6 से 8 बजे के बीच में करें।

पूजा जमीन पर आसन पर बैठकर ही करनी चाहिये, पूजागृह में सुबह एवं शाम को दीपक,एक घी का और एक तेल का रखें।

. पूजा अर्चना होने के बाद उसी जगह पर खड़े होकर 3 परिक्रमाएँ करें।

पूजाघर में मूर्तियाँ 1 ,3 , 5 , 7 , 9 ,11 इंच तक की होनी चाहिये, इससे बड़ी नहीं तथा खड़े हुए गणेश जी, सरस्वतीजी, लक्ष्मीजी, की मूर्तियाँ घर में नहीं होनी चाहिये।

. गणेश या देवी की प्रतिमा तीन, तीन शिवलिंग, दो शालिग्राम, दो सूर्य प्रतिमा, दो गोमती चक्र। दो की संख्या में कदापि न रखें। अपने मन्दिर में सिर्फ प्रतिष्ठित मूर्ति ही रखें उपहार, काँच, लकड़ी एवं फायबर की मूर्तियाँ न रखें एवं खण्डित, जलीकटी फोटो और टूटा काँच तुरन्त हटा दें, यह अमंगलकारक है एवं इनसे विपतियों का आगमन होता है।

मन्दिर के ऊपर भगवान के वस्त्र, पुस्तकें एवं आभूषण आदि भी न रखें मन्दिर में पर्दा अति आवश्यक है अपने पूज्य माता-पिता तथा पित्रों का फोटो मन्दिर में कदापि न रखें

विष्णु की चार, गणेश की तीन, सूर्य की सात, दुर्गा की एक एवं शिव की आधी परिक्रमा कर सकते हैं।

प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर में कलश स्थापित करना चाहिये कलश जल से पूर्ण, श्रीफल से युक्त विधिपूर्वक स्थापित करें यदि आपके घर में श्रीफल कलश उग जाता है तो वहाँ सुख एवं समृद्धि के साथ स्वयं लक्ष्मी जी नारायण के साथ निवास करती हैं तुलसी का पूजन भी आवश्यक है।

. मकड़ी के जाले एवं दीमक से घर को सर्वदा बचावें अन्यथा घर में भयंकर हानि हो सकती है।

. घर में झाड़ू कभी खड़ा कर के न रखें झाड़ू लांघना, पाँव से कुचलना भी दरिद्रता को निमंत्रण देना है दो झाड़ू को भी एक ही स्थान में न रखें इससे शत्रु बढ़ते हैं।

. घर में किसी परिस्थिति में जूठे बर्तन न रखें। क्योंकि शास्त्र कहते हैं कि रात में लक्ष्मीजी घर का निरीक्षण करती हैं यदि जूठे बर्तन रखने ही हो तो किसी बड़े बर्तन में उन बर्तनों को रख कर उनमें पानी भर दें और ऊपर से ढक दें तो दोष निवारण हो जायेगा।

. कपूर का एक छोटा सा टुकड़ा घर में नित्य अवश्य जलाना चाहिये, जिससे वातावरण अधिकाधिक शुद्ध हो: वातावरण में धनात्मक ऊर्जा बढ़े।

घर में नित्य घी का दीपक जलावें और सुखी रहें।

. घर में नित्य गोमूत्र युक्त जल से पोंछा लगाने से घर में वास्तुदोष समाप्त होते हैं तथा दुरात्माएँ हावी नहीं होती हैं।

. सेंधा नमक घर में रखने से सुख श्री(लक्ष्मी) की वृद्धि होती है।

साबुत धनिया, हल्दी की पांच गांठें,11 कमलगट्टे तथा साबुत नमक एक थैली में रख कर तिजोरी में रखने से बरकत होती है श्री (लक्ष्मी) व समृद्धि बढ़ती है।

दक्षिणावर्त शंख जिस घर में होता है,उसमे साक्षात लक्ष्मी एवं शांति का वास होता है वहाँ मंगल ही मंगल होते हैं पूजा स्थान पर दो शंख नहीं होने चाहिये।

. घर में यदा कदा केसर के छींटे देते रहने से वहाँ धनात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है पतला घोल बनाकर आम्र पत्र अथवा पान के पत्ते की सहायता से केसर के छींटे लगाने चाहिये।

. एक मोती शंख, पाँच गोमती चक्र, तीन हकीक पत्थर, एक ताम्र सिक्का व थोड़ी सी नागकेसर एक थैली में भरकर घर में रखें श्री (लक्ष्मी) की वृद्धि होगी।

. घर में पूजा पाठ व मांगलिक पर्व में बाये कंधे पर गमछा रखना चाहिये।

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"महाराज कर सुभ अभिषेका | सुनत लहहिं नर बिरति बिबेका || सुर दुर्लभ सुख करि जग माही | अंतकाल रघुपति पुर जाही ||"* ( महाराज #श्रीरामचंद्रजी के कल्याणमय राज्याभिषेक का चरित्र 'निष्कामभाव से' सुनकर मनुष्य वैराग्य और ज्ञान प्राप्त करते हैं |समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब वे जगत में देवदुर्लभ सुखों को भोगकर अंतकाल में #श्रीरामजी के परमधाम को जाते हैं | )***

"महाराज कर सुभ अभिषेका |  सुनत लहहिं नर बिरति बिबेका ||  सुर दुर्लभ सुख करि जग माही |  अंतकाल रघुपति पुर जाही ||" By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब *      ( महाराज #श्रीरामचंद्रजी के कल्याणमय राज्याभिषेक का चरित्र 'निष्कामभाव से' सुनकर मनुष्य वैराग्य और ज्ञान प्राप्त करते हैं | वे जगत में देवदुर्लभ सुखों को भोगकर अंतकाल में #श्रीरामजी के परमधाम को जाते हैं | ) ***

#जय_माँ_लक्ष्मी 🙏 🙏 🙏🔯 #माता_लक्ष्मी__की_कथा 🔯 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब एक बूढ़ा ब्राह्मण था वह रोज पीपल को जल से सींचता था । पीपल में से रोज एक लड़की निकलती और कहती पिताजी मैं आपके साथ जाऊँगी। यह सुनते-सुनते बूढ़ा दिन ब दिन कमजोर होने लगा तो बुढ़िया ने पूछा की क्या बात है ? बूढ़ा बोला कि पीपल से एक लड़की निकलती है और कहती है कि वह भी मेरे साथ चलेगी। बुढ़िया बोली कि कल ले आना उस लड़की को जहाँ छ: लड़कियाँ पहले से ही हमारे घर में है वहाँ सातवीं लड़की और सही।अगले दिन बूढ़ा उस लड़की को घर ले आया। घर लाने के बाद बूढ़ा आटा माँगने गया तो उसे पहले दिनों की अपेक्षा आज ज्यादा आटा मिला था।जब बुढ़िया वह आटा छानने लगी तो लड़की ने कहा कि लाओ माँ, मैं छान देती हूँ। जब वह आटा छानने बैठी तो परात भर गई। उसके बाद माँ खाना बनाने जाने लगी तो लड़की बोली कि आज रसोई में मैं जाऊँगी तो बुढ़िया बोली कि ना, तेरे हाथ जल जाएँगे लेकिन लड़की नहीं मानी और वह रसोई में खाना बनाने गई तो उसने तरह-तरह के छत्तीसों व्यंजन बना डाले और आज सभी ने भरपेट खाना खाया। इससे पहले वह आधा पेट भूखा ही रहते थे।रात हुई तो बुढ़िया का भाई आया और कहने लगा कि दीदी मैं तो खाना खाऊँगा। बुढ़िया परेशान हो गई कि अब खाना कहाँ से लाएगी। लड़की ने पूछा की माँ क्या बात है ? उसने कहा कि तेरा मामा आया है और रोटी खाएगा लेकिन रोटी तो सबने खा ली है अब उसके लिए कहाँ से लाऊँगी। लड़की बोली कि मैं बना दूँगी और वह रसोई में गई और मामा के लिए छत्तीसों व्यंजन बना दिए। मामा ने भरपेट खाया और कहा भी कि ऎसा खाना इससे पहले उसने कभी नहीं खाया है। बुढ़िया ने कहा कि भाई तेरी पावनी भाँजी है उसी ने बनाया है। शाम हुई तो लड़की बोली कि माँ चौका लगा के चौके का दीया जला देना, कोठे में मैं सोऊँगी। बुढ़िया बोली कि ना बेटी तू डर जाएगी लेकिन वह बोली कि ना मैं ना डरुँगी, मैं अंदर कोठे में ही सोऊँगी। वह कोठे में ही जाकर सो गई। आधी रात को लड़की उठी और चारों ओर आँख मारी तो धन ही धन हो गया। वह बाहर जाने लगी तो एक बूढ़ा ब्राह्मण सो रहा था। उसने देखा तो कहा कि बेटी तू कहाँ चली? लड़की बोली कि मैं तो दरिद्रता दूर करने आई थी। अगर तुम्हें दूर करवानी है तो करवा लो। उसने बूढे के घर में भी आँख से देखा तो चारों ओर धन ही धन हो गया।बाल वनिता महिला आश्रमसुबह सवेरे सब उठे तो लड़की को ना पाकर उसे ढूंढने लगे कि पावनी बेटी कहां चली गई। बूढ़ा ब्राह्मण बोला कि वह तो लक्ष्मी माता थी जो तुम्हारे साथ मेरी दरिद्रता भी दूर कर गई। हे लक्ष्मी माता ! जैसे आपने उनकी दरिद्रता दूर की वैसे ही सबकी करना। बोलो 👉🌹🙏जय_माँ_लक्ष्मी🙏🌹

#जय_माँ_लक्ष्मी 🙏 🙏 🙏 🔯 #माता_लक्ष्मी__की_कथा 🔯 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब एक बूढ़ा ब्राह्मण था वह रोज पीपल को जल से सींचता था । पीपल में से रोज एक लड़की निकलती और कहती पिताजी मैं आपके साथ जाऊँगी। यह सुनते-सुनते बूढ़ा दिन ब दिन कमजोर होने लगा तो बुढ़िया ने पूछा की क्या बात है ? बूढ़ा बोला कि पीपल से एक लड़की निकलती है और कहती है कि वह भी मेरे साथ चलेगी। बुढ़िया बोली कि कल ले आना उस लड़की को जहाँ छ: लड़कियाँ पहले से ही हमारे घर में है वहाँ सातवीं लड़की और सही। अगले दिन बूढ़ा उस लड़की को घर ले आया। घर लाने के बाद बूढ़ा आटा माँगने गया तो उसे पहले दिनों की अपेक्षा आज ज्यादा आटा मिला था। जब बुढ़िया वह आटा छानने लगी तो लड़की ने कहा कि लाओ माँ, मैं छान देती हूँ। जब वह आटा छानने बैठी तो परात भर गई। उसके बाद माँ खाना बनाने जाने लगी तो लड़की बोली कि आज रसोई में मैं जाऊँगी तो बुढ़िया बोली कि ना, तेरे हाथ जल जाएँगे लेकिन लड़की नहीं मानी और वह रसोई में खाना बनाने गई तो उसने तरह-तरह के छत्तीसों व्यंजन बना डाले और आज सभी ने भरपेट खाना खाया। इससे पहले वह आधा पेट भूखा ही रहते थे। रात हुई तो ...