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मेष – एलर्जी आज थोड़ी समस्या खड़ी कर सकती हैएलर्जी या सर्दी-खांसी के कारण आज सेहत पर ध्यान देने की जरूरत हो सकती है। अच्छा महसूस करने के लिए भाप लेना शुरू करें। नौकरी वाले लोगों को नए टीम के सदस्यों के साथ काम करने का मौका मिल सकता है। आज आप किसी प्रकार के रिसर्च में भी शामिल हो सकती हैं, जो आपके कार्यो में आपकी मदद करेगा। आज परिवार के सदस्य भी अपने जीवन में व्यस्त हो सकते हैं। आप काम से जुड़े मुद्दों पर परिवार के किसी बड़े सदस्य से सलाह लेने का प्रयास कर सकती हैं। आपका सामाजिक जीवन भी स्थिर बना रहेगा।लव टिप – काम में देरी पार्टनर से गलतफहमी का कारण बन सकती है। अपने पार्टनर से बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं रखेंएक्टिविटि टिप – स्वीमिंग करें या लंबा समय पानी में बिताएंकार्य के लिए शुभ रंग – गहरा गुलाबीप्यार के लिए शुभ रंग – पीलाकर्म टिप – समस्याओं को ज्यादा नहीं बढ़ाएंवृषभ – अत्यधिक काम समस्या खड़ी कर सकता हैअधूरी नींद और लंबे समय तक काम करने के कारण स्वास्थ्य संवेदनशील हो सकता है। नौकरी करने वालों के लिए आज नए प्रोजेक्ट्स या नई नौकरी पर स्पष्टता आने की संभावना हो सकती है। आज फाइनेंस स्थिर रहेगा साथ ही आप अपनों का ख्याल भी रख पाएंगी। पारिवारिक जीवन अस्थिर रहेगा, क्योंकि हो सकता है कि आपका कोई अपना आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरे। सामाजिक जीवन पीछे छूट सकता है, क्योंकि आप घर पर समय बिताना चाहेंगी और अच्छी नींद लेना चाहेंगी।लव टिप – अपने पार्टनर के साथ मतभेद नहीं रखेंएक्टिविटि टिप – अपना मनपसंद भोजन पकाने से आपको बेहतर महसूस करने में मदद मिल सकती हैकाम के लिए शुभ रंग – मौवप्यार के लिए शुभ रंग – गहरा हराकर्म टिप – अतीत को जाने देंमिथुन – आज काम और सेहत स्थिर बने रहेंगेआज स्वास्थ्य स्थिर बना रहेगा। लेकिन संचार से जुड़ी किसी समस्या के कारण काम स्थिर हो सकता है। कुछ मीटिंग्स के लिए आपको लोगों के साथ आगे-पीछे होना पड़ सकता है। लेकिन आखिर में सभी चीजें ठीक होती जाएंगी। पारिवारिक ड्रामा चलता रहेगा और आप किसी के द्वारा की गई टिप्पणियों से प्रभावित हो सकती हैं। खुद को शांत रखने के लिए किसी दोस्त से बात करें।लव टिप – आज पार्टनर सपोर्टिव रहेगा और आपको तनाव को दूर करने के लिए समय और स्पेस देगाएक्टिविटि टिप – गहरी सांस लेने या जप करने से आपको शांत होने में मदद मिलेगीकार्य के लिए शुभ रंग – ऑफ-व्हाइटप्यार के लिए शुभ रंग – कालाकर्म टिप – खुद पर भरोसा बनाएं रखेंकर्क – काम पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करेंस्वास्थ्य स्थिर बना रहेगा लेकिन काम पर किसी आलोचना के प्रति आप संवेदनशील हो सकती हैं। आपको काम पर ध्यान देने के साथ लोगों को स्पेस देने की आवश्यकता है। उल्टा रिएक्शन करने से चीजें और ज्यादा खराब हो सकती हैं। पारिवारिक जीवन स्थिर बना रहेगा और आप परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिता पाएंगी। आज कुछ सामाजिक योजनाएं आपका मनोरंजन कर सकती हैं। दोस्त आपको बेहतर तरीके से समझेंगे और आपके विजन पर ध्यान भी देंगे।लव टिप – आज पार्टनर आपकी सेहत को लेकर चिंतित हो सकता हैएक्टिविटि टिप – मेडिटेटिव संगीत सुनने में समय व्यतीत करेंकार्य के लिए शुभ रंग – पीलाप्यार के लिए शुभ रंग – सफेदकर्म टिप – लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देंसिंह – अपने पारिवारिक जीवन को स्थिर बनाएं रखेंकमर के निचले हिस्से की समस्या के कारण स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत हो सकती है। खुद को ज्यादा जोर नहीं डाले। आज काम में व्यस्तता आने की संभावना है। पुराने क्लाइंट से ज्यादा काम मिलने की संभावना भी है। काम पर दूसरों के फैसलों को नज़रअंदाज करने की गलती नहीं करें। फिर भले ही आप उनसे सहमत नहीं हों। परिवार के सदस्यों के बीच मनमुटाव होने के कारण आपका पारिवारिक जीवन अस्थिर हो सकता है। आज सामाजिक जीवन आपकी शाम व्यस्त रख सकते हैं।लव टिप – आज पार्टनर चिड़चिड़ा होने के कारण तनाव में हो सकता हैएक्टिविटि टिप – कोई खेल खेलना शुरू करेंकार्य के लिए शुभ रंग – गहरा गुलाबीप्यार के लिए शुभ रंग – हल्का हराकर्म टिप – अतित को जाने देंकन्या – अत्यधिक तनाव परेशानी खड़ी कर सकता हैब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव होने के कारण सेहत पर ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है। ज्यादा तनाव लेने से परहेज करें। आज काम पर दिन स्थिर रहेगा, लेकिन मीटिंग्स में देरी होने की संभावना भी है। इससे आपको तैयारी करने के साथ योजना बनाने का पर्याप्त समय मिल पाएगा। अतीत से किसी मतभेद के कारण पारिवारिक जीवन तनावपूर्ण हो सकता है। कोई आपके चीजों को छुपाने की कोशिश करेगा, जो मतभेद का कारण बन सकता है। आज सामाजिक जीवन भी पीछे छुट्ने की संभावना है।लव टिप – पार्टनर आज आपको बेहतर महसूस कराने की कोशिश करेगाएक्टिविटि टिप – अपने कमरे को व्यवस्थित करके रखेंकार्य के लिए शुभ रंग – हल्का हराप्यार के लिए शुभ रंग – गहरा नीलाकर्म टिप – एक अच्छी श्रोता बनेंतुला – आज सेहत पर खास ध्यान देने की कोशिश करेंसिर दर्द और आंखों से जुड़ी समस्याओं के कारण सेहत पर ध्यान देने की जरूरत हो सकती है। काम स्थिर बना रहेगा, लेकिन सहकर्मियों के साथ सहनशील बनी रहें। क्योंकि सिर्फ उनके काम करने का तरीका अलग हो सकता है। अगर आप सम्मान पाना चाहती हैं, तो उनके फैसलों का सम्मान करने की कोशिश करें। आज परिवार के किसी सदस्य के भावनात्मक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत हो सकती है। क्योंकि उनके जीवन में चल रहे तनाव के कारण वे परेशान हो सकती हैं। आपका कोई पुराना दोस्त आपसे संपर्क करने की कोशिश कर सकता है।लव टिप – पार्टनर आज आपकी बहुत ज्यादा केयर कर सकता हैएक्टिविटी टिप – प्रकृति के बीच समय बिताएंकार्य के लिए शुभ रंग – हल्का हराप्यार के लिए शुभ रंग – लैवेंडरकर्म टिप – अधिक गंभीर बनी रहेंवृश्चिक – मानसिक तनाव परेशानी का कारण बन सकता हैआज आपका काम और सेहत स्थिर बने रहेंगे, लेकिन मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के कारण आपको ध्यान केंद्रित करने में समस्या हो सकती है। आज आपको गंभीर होने की आवश्यकता है, लेकिन कोई शारीरिक कदम उठाने की कोशिश नहीं करें। पुराने ग्राहक अधूरे कार्यो को पूरा करने के लिए आप पर दबाव बना सकते हैं। आपके परिवार के सदस्य आपसे नाराज हो सकते हैं। सामाजिक जीवन स्थिर बना रहेगा। आपका कोई दोस्त व्यापार के नए विचारों पर बातचीत करने के लिए आ सकता है।लव टिप – पार्टनर सपोर्टिव बना रहेगा और आपको स्पेस देने की कोशिश करेगाएक्टिविटि टिप – अपने मूड को बेहतर करने के लिए अच्छी फिल्में देखना शुरू करेंकार्य के लिए शुभ रंग – ऑफ-व्हाइटप्यार के लिए शुभ रंग – लालकर्म टिप – मूडी बनने से परहेज करेंधनु – बाहर के खाने से परहेज करने की कोशिश करेंपेट से जुड़ी समस्याओं के कारण सेहत पर ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए बाहर के खाने से परहेज रखें। आज काम में व्यस्तता हो सकती है। आपको रुके हुए कार्यो को पूरा करने पर ध्यान देना होगा। इससे बचने के बजाय अधिक गंभीर बनने का प्रयास करें। काम पर अटका हुआ धन दिन के दूसरे भाग में देरी का कारण बन सकता है। परिवार के किसी बड़े सदस्य का स्वास्थ्य संवेदनशील हो सकता है। उनके साथ समय बिताएं, क्योंकि वे भावनात्मक रूप से कमजोर महसूस कर रहे होंगे।लव टिप – पार्टनर पर गुस्सा करने से परहेज करेंएक्टिविटि टिप – काम के बाद नमक के पानी से स्नान करेंकार्य के लिए शुभ रंग – गहरा नीलाप्यार के लिए शुभ रंग – सफेदकर्म टिप – अधिक फ्लेक्सिबल बनी रहेंमकर – सोच समझकर ही कोई फैसला करेंआज काम स्थिर बना रहेगा, लेकिन मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के कारण आपको ध्यान केंद्रित करने में समस्या होगी। आपको गंभीर होने की जरूरत भी है, लेकिन आज कोई शारीरिक कदम नहीं उठाएं। आपके परिवार के सदस्य घरेलू काम से जुड़े किसी कार्य के लिए आपको परेशान कर सकते हैं। सहनशील बनकर इसे पूरा करें या इसे किसी ऐसे व्यक्ति को सौंपें जो इसे संभाल सके। आज आपका सामाजिक जीवन स्थिर बना रहेगा। आप दूसरे के दोस्तों से फोन के जरिए जुड़ सकती हैं।लव टिप – पार्टनर रिलेशनशिप पर स्पष्टता पाने के लिए आपके साथ चर्चा करना चाहेगाएक्टिविटि टिप – अपनी भावनाओं पर काम करते हुए अकेले समय बिताएंकार्य के लिए शुभ रंग – हल्का गुलाबीप्यार के लिए शुभ रंग – सफेदकर्म टिप – खुद पर भरोसा बनाएं रखेंकुंभ – आज कोई शारीरिक गतिविधि करना बेहतर होगास्वास्थ्य स्थिर बना रहेगा। आपको किसी शारीरिक गतिविधि पर ध्यान देने की जरूरत होगी। काम पर आपको किसी पेपर वर्क पर ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है। आज दिन के दूसरे भाग में सहकर्मियों से अच्छी खबर मिलने की संभावना भी है। व्यवसाय वालों को अपनी टीम का विस्तार करने की जरूरत हो सकती है। परिवार के सदस्य आपको समझेंगे और स्पेस देने की कोशिश करेंगे। आज आपका सामाजिक जीवन स्थिर भी स्थिर बना रहेगा।लव टिप – पार्टनर अपने काम को लेकर तनाव में रहेगा और अपनी समस्या आपसे शेयर भी करेगाएक्टिविटि टिप – अपनी रचनात्मक ऊर्जा पर काम करना शुरू करेंकार्य के लिए शुभ रंग – ऑफ-व्हाइटप्यार के लिए शुभ रंग – समुद्री हराकर्म टिप – अपने फैसलों के लिए अनुमोदन नहीं लेंमीन – आज नींद में समस्या होने की संभावना हैनींद में समस्या होने की संभावना है। लेकिन काम के तनाव के कारण इमोशनल ईटिंग नहीं करें। काम स्थिर बना रहेगा। आज एक सामान्य दिन होगा जहां आपको अधूरे कार्यों पर ध्यान देने की जरूरत होगी। सहकर्मी अपनी जिम्मेदारीयों में व्यस्त रहेंगे जिससे आप आसानी से अपने कार्यो पर ध्यान दे पाएंगी। परिवार के सदस्य सहायक बने रहेंगे और आपको स्पेस देने की कोशिश करेंगे। आज आपका सामाजिक जीवन भी पीछे छूट सकता है, क्योंकि आपको अपने पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम बिताने की जरूरत होगी।लव टिप – पार्टनर के साथ मनमुटाव को समय से सुलझाने की कोशिश करेंएक्टिविटी टिप – काम से पहले नमक के पानी से नहाएंकार्य के लिए शुभ रंग – सफेदप्यार के लिए शुभ रंग – मौवकर्म टिप – अपनी रचनात्मक ऊर्जा पर काम करें#बाल #वनिता #महिला #वृद्ध #आश्रम .सभी देशवासियों को लोक आस्था एवं सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा की हार्दिक बधाई। भगवान सूर्य देव की ऊर्जा एवं मां छठ की असीम कृपा से हम सभी का जीवन ज्योतिर्मय रहें तथा चहुंओर खुशहाली एवं समृद्धि का वास हो। लोक आस्था के महापर्व 'छठ' की हार्दिक शुभकामनाएं।भारतीय संस्कृति और प्रकृति के मध्य प्रगाढ़ संबंध को प्रदर्शित करता यह महापर्व सभी के जीवन में ऊर्जा व उत्साह का नव संचार करे, इस अवसर पर प्रकृति संरक्षण-संवर्धन के प्रति सजगता से सतत कार्य करते रहने का संकल्प लें।जय छठी मईया॥🙏#chhathpuja#वनिता #कासनियां #पंजाब 🌷🙏🙏🌷

मेष – एलर्जी आज थोड़ी समस्या खड़ी कर सकती है एलर्जी या सर्दी-खांसी के कारण आज सेहत पर ध्यान देने की जरूरत हो सकती है। अच्छा महसूस करने के लिए भाप लेना शुरू करें। नौकरी वाले लोगों को नए टीम के सदस्यों के साथ काम करने का मौका मिल सकता है। आज आप किसी प्रकार के रिसर्च में भी शामिल हो सकती हैं, जो आपके कार्यो में आपकी मदद करेगा। आज परिवार के सदस्य भी अपने जीवन में व्यस्त हो सकते हैं। आप काम से जुड़े मुद्दों पर परिवार के किसी बड़े सदस्य से सलाह लेने का प्रयास कर सकती हैं। आपका सामाजिक जीवन भी स्थिर बना रहेगा। लव टिप – काम में देरी पार्टनर से गलतफहमी का कारण बन सकती है। अपने पार्टनर से बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं रखें एक्टिविटि टिप – स्वीमिंग करें या लंबा समय पानी में बिताएं कार्य के लिए शुभ रंग – गहरा गुलाबी प्यार के लिए शुभ रंग – पीला कर्म टिप – समस्याओं को ज्यादा नहीं बढ़ाएं वृषभ – अत्यधिक काम समस्या खड़ी कर सकता है अधूरी नींद और लंबे समय तक काम करने के कारण स्वास्थ्य संवेदनशील हो सकता है। नौकरी करने वालों के लिए आज नए प्रोजेक्ट्स या नई नौकरी पर स्पष्टता आने की संभावना हो सकती है...

दर्शनशास्त्र के अनुसारभारतीय आस्तिक दर्शनशास्त्र के मत में शब्द के नित्य होने से उसका अर्थ के साथ स्वयम्भू-जैसा सम्बन्ध होता है। वेद में शब्द को नित्य समझने पर वेद को अपौरुषेय (ईश्वरप्रणीत) माना गया है। निरूक्तकार भी इसका प्रतिपादन करते हैं। आस्तिक दर्शन ने शब्द को सर्वश्रेष्ठ प्रमाण मान्य किया है। इस विषय में मीमांसा- दर्शन तथा न्याय-दर्शन के मत भिन्न-भिन्न हैं। जैमिनीय मीमांसक, कुमारिल आदि मीमांसक, आधुनिक मीमांसक तथा सांख्यवादियों के मत में वेद अपौरुषेय, नित्य एवं स्वत:प्रमाण हैं। मीमांसक वेद को स्वयम्भू मानते हैं। उनका कहना है कि वेद की निर्मिति का प्रयत्न किसी व्यक्ति-विशेष का अथवा ईश्वर का नहीं है। नैयायिक ऐसा समझते हैं कि वेद तो ईश्वरप्रोक्त है। मीमांसक कहते हैं कि भ्रम, प्रमाद, दुराग्रह इत्यादि दोषयुक्त होने के कारण मनुष्य के द्वारा वेद-जैसे निर्दोष महान ग्रन्थरत्न की रचना शक्य ही नहीं है। अत: वेद अपौरुषेय ही है। इससे आगे जाकर नैयायिक ऐसा प्रतिपादन करते हैं कि ईश्वर ने जैसे सृष्टि की, वैसे ही वेद का निर्माण किया; ऐसा मानना उचित ही है।श्रुति के मतानुसार वेद तो महाभूतों का नि:श्वास (यस्य नि:श्वतिसं वेदा...) है। श्वास-प्रश्वास स्वत: आविर्भूत होते हैं, अत: उनके लिये मनुष्य के प्रयत्न की अथवा बुद्धि की अपेक्षा नहीं होती। उस महाभूत का नि:श्वासरूप वेद तो अदृष्टवशात अबुद्धिपूर्वक स्वयं आविर्भूत होता है।वेद नित्य-शब्द की संहृति होने से नित्य है और किसी भी प्रकार से उत्पाद्य नहीं है; अत: स्वत: आविर्भूत वेद किसी भी पुरुष से रचा हुआ न होने के कारण अपौरुषेय (ईश्वरप्रणीत) सिद्ध होता है। इन सभी विचारों को दर्शन शास्त्र में अपौरुषेयवाद कहा गया है।अवैदिक दर्शन को नास्तिक दर्शन भी कहते हैं, क्योंकि वह वेद को प्रमाण नहीं मानता, अपौरुषेय स्वीकार नहीं करता। उसका कहना है कि इहलोक (जगत) ही आत्मा का क्रीडास्थल है, परलोक (स्वर्ग) नाम की कोई वस्तु नहीं है, 'काम एवैक: पुरुषार्थ:'- काम ही मानव-जीवन का एकमात्र पुरुषार्थ होता है, 'मरणमेवापवर्ग:'- मरण (मृत्यु) माने ही मोक्ष (मुक्ति) है, 'प्रत्यक्षमेव प्रमाणम्'- जो प्रत्यक्ष है वही प्रमाण है (अनुमान प्रमाण नहीं है)। धर्म ही नहीं है, अत: अधर्म नहीं है; स्वर्ग-नरक नहीं हैं। 'न परमेश्वरोऽपि कश्चित्'- परमेश्वर –जैसा भी कोई नहीं है, 'न धर्म: न मोक्ष:'- न तो धर्म है न मोक्ष है। अत: जब तक शरीर में प्राण है, तब तक सुख प्राप्त करते हैं- इस विषय में नास्तिक चार्वाक-दर्शन स्पष्ट कहता है-यावज्जीवं सुखं जीवेदृणं कृत्वा घृतं पिबेत्।भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुत:॥[17]चार्वाक-दर्शन शब्द में 'चर्व' का अर्थ है-खाना। इस 'चर्व' पद से ही 'खाने-पीने और मौज' करने का संदेश देने वाले इस दर्शन का नाम 'चार्वाक-दर्शन' पड़ा है। 'गुणरत्न' ने इसकी व्याख्या इस प्रकार से की है- परमेश्वर, वेद, पुण्य-पाप, स्वर्ग-नरक, आत्मा, मुक्ति इत्यादि का जिसने 'चर्वण' (नामशेष) कर दिया है, वह 'चार्वाक-दर्शन' है। इस मत के लोगों का लक्ष्य स्वमतस्थापन की अपेक्षा परमतखण्डन के प्रति अधिक रहने से उनको 'वैतंडिक' कहा गया है। वे लोग वेदप्रामाण्य मानते ही नहीं।1.जगत,2.जीव,3.ईश्वर और4.मोक्ष- ये ही चार प्रमुख प्रतिपाद्य विषय सभी दर्शनों के होते हैं।आचार्य श्रीहरिभद्र ने 'षड्दर्शन-समुच्चय' नाम का अपने ग्रन्थ में1.न्याय,2.वैशेषिक,3.सांख्य,4.योग,5.मीमांसा और6.वेदान्त- इन छ: को वैदिक दर्शन (आस्तिक-दर्शन) तथा7.चार्वाक,8.बौद्ध और9.जैन-इन तीन को 'अवैदिक दर्शन' (नास्तिक-दर्शन) कहा है और उन सब पर विस्तृत विचार प्रस्तुत किया है। वेद को प्रमाण मानने वाले आस्तिक और न मानने वाले नास्तिक हैं, इस दृष्टि से उपर्युक्त न्याय-वैशेषिकादि षड्दर्शन को आस्तिक और चार्वाकादि दर्शन को नास्तिक कहा गया है।मनु स्मृति में वेद ही By वनिता कासनियां पंजाबमनुस्मृति कहती है- 'श्रुतिस्तु वेदो विज्ञेय:'[6] 'आदिसृष्टिमारभ्याद्यपर्यन्तं ब्रह्मादिभि: सर्वा: सत्यविद्या: श्रूयन्ते सा श्रुति:॥'[7] वेदकालीन महातपा सत्पुरुषों ने समाधि में जो महाज्ञान प्राप्त किया और जिसे जगत के आध्यात्मिक अभ्युदय के लिये प्रकट भी किया, उस महाज्ञान को 'श्रुति' कहते हैं।श्रुति के दो विभाग हैं-1.वैदिक और2.तान्त्रिक- 'श्रुतिश्च द्विविधा वैदिकी तान्त्रिकी च।'मुख्य तन्त्र तीन माने गये हैं-1.महानिर्वाण-तन्त्र,2.नारदपाञ्चरात्र-तन्त्र और3.कुलार्णव-तन्त्र।वेद के भी दो विभाग हैं-1.मन्त्र विभाग और2.ब्राह्मण विभाग- 'वेदो हि मन्त्रब्राह्मणभेदेन द्विविध:।'वेद के मन्त्र विभाग को संहिता भी कहते हैं। संहितापरक विवेचन को 'आरण्यक' एवं संहितापरक भाष्य को 'ब्राह्मणग्रन्थ' कहते हैं। वेदों के ब्राह्मणविभाग में' आरण्यक' और 'उपनिषद'- का भी समावेश है। ब्राह्मणविभाग में 'आरण्यक' और 'उपनिषद'- का भी समावेश है। ब्राह्मणग्रन्थों की संख्या 13 है, जैसे ऋग्वेद के 2, यजुर्वेद के 2, सामवेद के 8 और अथर्ववेद के 1 ।मुख्य ब्राह्मणग्रन्थ पाँच हैं-ऋग्वेद का आवरण1.ऐतरेय ब्राह्मण,2.तैत्तिरीय ब्राह्मण,3.तलवकार ब्राह्मण,4.शतपथ ब्राह्मण और5.ताण्डय ब्राह्मण।उपनिषदों की संख्या वैसे तो 108 हैं, परंतु मुख्य 12 माने गये हैं, जैसे-1.ईश,2.केन,3.कठ,4.प्रश्न,5.मुण्डक,6.माण्डूक्य,7.तैत्तिरीय,8.ऐतरेय,9.छान्दोग्य,10.बृहदारण्यक,11.कौषीतकि और12.श्वेताश्वतर। दर्शन शास्त्र के अनुसारभारतीय आस्तिक दर्शनशास्त्र के मत में शब्द के नित्य होने से उसका अर्थ के साथ स्वयम्भू-जैसा सम्बन्ध होता है। वेद में शब्द को नित्य समझने पर वेद को अपौरुषेय (ईश्वरप्रणीत) माना गया है। निरूक्तकार भी इसका प्रतिपादन करते हैं। आस्तिक दर्शन ने शब्द को सर्वश्रेष्ठ प्रमाण मान्य किया है। इस विषय में मीमांसा- दर्शन तथा न्याय-दर्शन के मत भिन्न-भिन्न हैं। जैमिनीय मीमांसक, कुमारिल आदि मीमांसक, आधुनिक मीमांसक तथा सांख्यवादियों के मत में वेद अपौरुषेय, नित्य एवं स्वत:प्रमाण हैं। मीमांसक वेद को स्वयम्भू मानते हैं। उनका कहना है कि वेद की निर्मिति का प्रयत्न किसी व्यक्ति-विशेष का अथवा ईश्वर का नहीं है। नैयायिक ऐसा समझते हैं कि वेद तो ईश्वरप्रोक्त है। मीमांसक कहते हैं कि भ्रम, प्रमाद, दुराग्रह इत्यादि दोषयुक्त होने के कारण मनुष्य के द्वारा वेद-जैसे निर्दोष महान ग्रन्थरत्न की रचना शक्य ही नहीं है। अत: वेद अपौरुषेय ही है। इससे आगे जाकर नैयायिक ऐसा प्रतिपादन करते हैं कि ईश्वर ने जैसे सृष्टि की, वैसे ही वेद का निर्माण किया; ऐसा मानना उचित ही है।श्रुति के मतानुसार वेद तो महाभूतों का नि:श्वास (यस्य नि:श्वतिसं वेदा...) है। श्वास-प्रश्वास स्वत: आविर्भूत होते हैं, अत: उनके लिये मनुष्य के प्रयत्न की अथवा बुद्धि की अपेक्षा नहीं होती। उस महाभूत का नि:श्वासरूप वेद तो अदृष्टवशात अबुद्धिपूर्वक स्वयं आविर्भूत होता है।वेद नित्य-शब्द की संहृति होने से नित्य है और किसी भी प्रकार से उत्पाद्य नहीं है; अत: स्वत: आविर्भूत वेद किसी भी पुरुष से रचा हुआ न होने के कारण अपौरुषेय (ईश्वरप्रणीत) सिद्ध होता है। इन सभी विचारों को दर्शन शास्त्र में अपौरुषेयवाद कहा गया है।अवैदिक दर्शन को नास्तिक दर्शन भी कहते हैं, क्योंकि वह वेद को प्रमाण नहीं मानता, अपौरुषेय स्वीकार नहीं करता। उसका कहना है कि इहलोक (जगत) ही आत्मा का क्रीडास्थल है, परलोक (स्वर्ग) नाम की कोई वस्तु नहीं है, 'काम एवैक: पुरुषार्थ:'- काम ही मानव-जीवन का एकमात्र पुरुषार्थ होता है, 'मरणमेवापवर्ग:'- मरण (मृत्यु) माने ही मोक्ष (मुक्ति) है, 'प्रत्यक्षमेव प्रमाणम्'- जो प्रत्यक्ष है वही प्रमाण है (अनुमान प्रमाण नहीं है)। धर्म ही नहीं है, अत: अधर्म नहीं है; स्वर्ग-नरक नहीं हैं। 'न परमेश्वरोऽपि कश्चित्'- परमेश्वर –जैसा भी कोई नहीं है, 'न धर्म: न मोक्ष:'- न तो धर्म है न मोक्ष है। अत: जब तक शरीर में प्राण है, तब तक सुख प्राप्त करते हैं- इस विषय में नास्तिक चार्वाक-दर्शन स्पष्ट कहता है-यावज्जीवं सुखं जीवेदृणं कृत्वा घृतं पिबेत्।भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुत:॥[17]चार्वाक-दर्शन शब्द में 'चर्व' का अर्थ है-खाना। इस 'चर्व' पद से ही 'खाने-पीने और मौज' करने का संदेश देने वाले इस दर्शन का नाम 'चार्वाक-दर्शन' पड़ा है। 'गुणरत्न' ने इसकी व्याख्या इस प्रकार से की है- परमेश्वर, वेद, पुण्य-पाप, स्वर्ग-नरक, आत्मा, मुक्ति इत्यादि का जिसने 'चर्वण' (नामशेष) कर दिया है, वह 'चार्वाक-दर्शन' है। इस मत के लोगों का लक्ष्य स्वमतस्थापन की अपेक्षा परमतखण्डन के प्रति अधिक रहने से उनको 'वैतंडिक' कहा गया है। वे लोग वेदप्रामाण्य मानते ही नहीं।1.जगत,2.जीव,3.ईश्वर और4.मोक्ष- ये ही चार प्रमुख प्रतिपाद्य विषय सभी दर्शनों के होते हैं।आचार्य श्रीहरिभद्र ने 'षड्दर्शन-समुच्चय' नाम का अपने ग्रन्थ में1.न्याय,2.वैशेषिक,3.सांख्य,4.योग,5.मीमांसा और6.वेदान्त- इन छ: को वैदिक दर्शन (आस्तिक-दर्शन) तथा7.चार्वाक,8.बौद्ध और9.जैन-इन तीन को 'अवैदिक दर्शन' (नास्तिक-दर्शन) कहा है और उन सब पर विस्तृत विचार प्रस्तुत किया है। वेद को प्रमाण मानने वाले आस्तिक और न मानने वाले नास्तिक हैं, इस दृष्टि से उपर्युक्त न्याय-वैशेषिकादि षड्दर्शन को आस्तिक और चार्वाकादि दर्शन को नास्तिक कहा गया है।By वनिता कासनियां पंजाब

दर्शनशास्त्र के अनुसार भारतीय आस्तिक दर्शनशास्त्र के मत में शब्द के नित्य होने से उसका अर्थ के साथ स्वयम्भू-जैसा सम्बन्ध होता है। वेद में शब्द को नित्य समझने पर वेद को अपौरुषेय (ईश्वरप्रणीत) माना गया है। निरूक्तकार भी इसका प्रतिपादन करते हैं। आस्तिक दर्शन ने शब्द को सर्वश्रेष्ठ प्रमाण मान्य किया है। इस विषय में मीमांसा- दर्शन तथा न्याय-दर्शन के मत भिन्न-भिन्न हैं। जैमिनीय मीमांसक, कुमारिल आदि मीमांसक, आधुनिक मीमांसक तथा सांख्यवादियों के मत में वेद अपौरुषेय, नित्य एवं स्वत:प्रमाण हैं। मीमांसक वेद को स्वयम्भू मानते हैं। उनका कहना है कि वेद की निर्मिति का प्रयत्न किसी व्यक्ति-विशेष का अथवा ईश्वर का नहीं है। नैयायिक ऐसा समझते हैं कि वेद तो ईश्वरप्रोक्त है। मीमांसक कहते हैं कि भ्रम, प्रमाद, दुराग्रह इत्यादि दोषयुक्त होने के कारण मनुष्य के द्वारा वेद-जैसे निर्दोष महान ग्रन्थरत्न की रचना शक्य ही नहीं है। अत: वेद अपौरुषेय ही है। इससे आगे जाकर नैयायिक ऐसा प्रतिपादन करते हैं कि ईश्वर ने जैसे सृष्टि की, वैसे ही वेद का निर्माण किया; ऐसा मानना उचित ही है। श्रुति के मतानुसार वेद तो महाभूतों का नि:श्...

#Happy_dipawli #दीपावली- दीपावली :-"#दीयों की रोशनी से #जगमगाता........#आंगन हो, #पटाखों की #रोशनी से जग मगाता #आसमान हो, ऐसी आये #झूम के ये........................#दीपावली, हर तरफ #खुशियां का #मौसम हो"..!!आप सभी को छोटी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.....|| ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ||'दीपावली माने दीपो की वली परंपरा, घर को भीतर-बाहर से दीप प्रकाश से भरकर सकारात्मक उर्जा से भर देना, फिर भीतर भी ईश्वर को प्रकृति माता को अब तक जो भी सुविधा साधन पाया है और आगे पाएंगे उसका धन्यवाद देते यही प्रार्थना करना......🙏🙏#swamimadhurramjisatsang #sanatandharma #deepawali2022 #ShubhDeepawali #दीपावली #शुभदीपावली #deepawali

#Happy_dipawli  #दीपावली - दीपावली :- "#दीयों की रोशनी से #जगमगाता........#आंगन हो,  #पटाखों की #रोशनी से जग मगाता #आसमान हो,  ऐसी आये #झूम के ये........................#दीपावली,  हर तरफ #खुशियां का #मौसम हो"..!! आप सभी को छोटी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं..... || ॐ नमो भगवते वासुदेवाय || 'दीपावली माने दीपो की वली परंपरा, घर को भीतर-बाहर से दीप प्रकाश से भरकर सकारात्मक उर्जा से भर देना, फिर भीतर भी ईश्वर को प्रकृति माता को अब तक जो भी सुविधा साधन पाया है और आगे पाएंगे उसका धन्यवाद देते यही प्रार्थना करना......🙏🙏 #swamimadhurramjisatsang #sanatandharma #deepawali2022 #ShubhDeepawali #दीपावली #शुभदीपावली #deepawali

21 जून, 2021, सोमवार को निर्जला एकादशी व्रत है। निर्जला एकादशी को सभी एकादशी में सबसे अधिक श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन व्रत करने से 24 एकादशी व्रत करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में दो बार एकादशी पड़ती है। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत अधिक महत्व होता है। आइए जानते हैं निर्जला एकादशी पूजा- विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त और सामग्री की पूरी लिस्ट...एकादशी मुहूर्त चाणक्य नीति: किसी पर भरोसा करने से पहले जान लें उसकी ये 3 बातें, वरना पड़ सकता ह पछताना राशिफल 21 जून: मेष व कन्या राशि वाले रोजगार में करेंगे तरक्की, इस राशिके जातक गृहकलह से बचें मिथुन व तुला के बाद इन राशि वालों पर शुरू होगी शनि ढैय्या, जानें क्या महादशा की चपेट में आएगी आपकी राशि?2021/06/21 06:56:43 Nirjala Ekadashi 2021 : निर्जला एकादशी के दिन जरूर करें इस कथा का पाठ, जानें किस समय पूजा करना होगा शुभ2021/06/21 06:38:एकादशी तिथि प्रारम्भ - जून 20, 2021 को 04:21 पी एम एकादशी तिथि समाप्त - जून 21, 2021 को 01:31 पी एम पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 22 जून को, 05:24 ए एम से 08:12 ए एमनिर्जला एकादशी पूजा- विधि बाल वनिता महिला आश्रमसुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।भगवान की आरती करें। भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।

  निर्जला एकादशी व्रत आज, जानें पूजा- विधि, नियम, शुभ मुहूर्त, महत्व और सामग्री का पूरी लिस्ट By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 21 जून, 2021, सोमवार को निर्जला एकादशी व्रत है। निर्जला एकादशी को सभी एकादशी में सबसे अधिक श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन व्रत करने से 24 एकादशी व्रत करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में दो बार एकादशी पड़ती है। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत अधिक महत्व होता है। आइए जानते हैं निर्जला एकादशी पूजा- विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त और सामग्री की पूरी लिस्ट... एकादशी मुहूर्त  चाणक्य नीति: किसी पर भरोसा करने से पहले जान लें उसकी ये 3 बातें, वरना पड़ सकता ह पछताना    राशिफल 21 जून: मेष व कन्या राशि वाले रोजगार में करेंगे तरक्की, इस राशिके जातक गृहकलह से बचें    मिथुन व तुला के बाद इन र...

,क्या बिना ग्राफ्टिंग के भी एक ही पौधे पर एक साथ अलग-अलग रंगों और आकार के दो गुलाब खिल सकते हैं? By वनिता कासनियां पंजाब वैसे तो संभव लगता नही है की गुण बदल जाए। लेकिन प्रकृति विलक्षण है कुछ भी हो सकता है और ऐसे में मुंह से सिर्फ यही निकलता है अदभुद।

, क्या बिना ग्राफ्टिंग के भी एक ही पौधे पर एक साथ अलग-अलग रंगों और आकार के दो गुलाब खिल सकते हैं? By  वनिता कासनियां पंजाब वैसे तो संभव लगता नही है की गुण बदल जाए। लेकिन प्रकृति विलक्षण है कुछ भी हो सकता है और ऐसे में मुंह से सिर्फ यही निकलता है अदभुद।

कार्तिक मास में सुख समृद्धि के लिये कुछ नियमों का पालन करें ।By वनिता कासनियां पंजाब1 ) जो कार्तिक मास प्राप्त हुआ देख पराये अन्न का सर्वथा त्याग करता है। (बाहर का कुछ नही खाता) उसे अतिक्रच्छ नामक यज्ञ करने का फल मिलता है।2) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज भगवान विष्णु को कमल के फूल चढाता है। वह 1 करोड जन्म के पाप से मुक्त हो जाता है ।3) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज भगवान विष्णु को तुलसी चढाता है। वह हर 1 पत्ते पर 1 हीरा दान करने का फल पाता है।4) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज गीता का एक अध्याय पडता है। वह कभी यमराज का मुख नही देखता ।5) जो मनुष्य कार्तिक मास मे शालिग्राम शिला का दान करता है। उसे सम्पूर्ण पृथ्वी के दान का फल मिलता है ।6) कार्तिक मास मे जो व्यक्ति पुरे मास पलाश की पत्तल मे भोजन करता है। वह विष्णु लोक को जाता है ।7) कार्तिक मास मे तुलसी पीपल और विष्णु की रोज पुजा करनी चाहिए ।8) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज भगवान विष्णु के मंदिर की परिक्रमा करता है। उसे पग पग पर अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है।9 ) इस जन्म मे जो पाप होते है। वह सब कार्तिक मास मे दीपदान करने से नष्ट हो जाता है।10) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज नाम जप करते है। उनपर भगवान विष्णु प्रसन्न रहते है ।11) जो मनुष्य कार्तिक मास मे तुलसी ,पीपल या आवले का वृक्षारोपण करते है वह पेड जबतक प्रथ्वी पर रहते है। लगाने वाला तब तक वैकुण्ठ मे वास करता है।।।

कार्तिक मास में सुख समृद्धि के लिये कुछ नियमों का पालन करें । By वनिता कासनियां पंजाब 1 ) जो कार्तिक मास प्राप्त हुआ देख पराये अन्न का सर्वथा त्याग करता है। (बाहर का कुछ नही खाता) उसे अतिक्रच्छ नामक यज्ञ करने का फल मिलता है। 2) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज भगवान विष्णु को कमल के फूल चढाता है। वह 1 करोड जन्म के पाप से मुक्त हो जाता है । 3) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज भगवान विष्णु को तुलसी चढाता है। वह हर 1 पत्ते पर 1 हीरा दान करने का फल पाता है। 4) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज गीता का एक अध्याय पडता है। वह कभी यमराज का मुख नही देखता । 5) जो मनुष्य कार्तिक मास मे शालिग्राम शिला का दान करता है। उसे सम्पूर्ण पृथ्वी के दान का फल मिलता है । 6) कार्तिक मास मे जो व्यक्ति पुरे मास पलाश की पत्तल मे भोजन करता है। वह विष्णु लोक को जाता है । 7) कार्तिक मास मे तुलसी पीपल और विष्णु की रोज पुजा करनी चाहिए । 8) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज भगवान विष्णु के मंदिर की परिक्रमा करता है। उसे पग पग पर अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है। 9 ) इस जन्म मे जो पाप होते है। वह सब कार्तिक मास मे दीपदान करने से नष्ट हो जाता...

कैसे करें पूजा । वनिता कासनियां पंजाब द्वारा पूजा हमेशा पूर्व या उत्तर की ओर मुँह करके करनी चाहिये, हो सके तो सुबह 6 से 8 बजे के बीच में करें।पूजा जमीन पर आसन पर बैठकर ही करनी चाहिये, पूजागृह में सुबह एवं शाम को दीपक,एक घी का और एक तेल का रखें।. पूजा अर्चना होने के बाद उसी जगह पर खड़े होकर 3 परिक्रमाएँ करें।पूजाघर में मूर्तियाँ 1 ,3 , 5 , 7 , 9 ,11 इंच तक की होनी चाहिये, इससे बड़ी नहीं तथा खड़े हुए गणेश जी, सरस्वतीजी, लक्ष्मीजी, की मूर्तियाँ घर में नहीं होनी चाहिये।. गणेश या देवी की प्रतिमा तीन, तीन शिवलिंग, दो शालिग्राम, दो सूर्य प्रतिमा, दो गोमती चक्र। दो की संख्या में कदापि न रखें। अपने मन्दिर में सिर्फ प्रतिष्ठित मूर्ति ही रखें उपहार, काँच, लकड़ी एवं फायबर की मूर्तियाँ न रखें एवं खण्डित, जलीकटी फोटो और टूटा काँच तुरन्त हटा दें, यह अमंगलकारक है एवं इनसे विपतियों का आगमन होता है।मन्दिर के ऊपर भगवान के वस्त्र, पुस्तकें एवं आभूषण आदि भी न रखें मन्दिर में पर्दा अति आवश्यक है अपने पूज्य माता-पिता तथा पित्रों का फोटो मन्दिर में कदापि न रखेंविष्णु की चार, गणेश की तीन, सूर्य की सात, दुर्गा की एक एवं शिव की आधी परिक्रमा कर सकते हैं।प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर में कलश स्थापित करना चाहिये कलश जल से पूर्ण, श्रीफल से युक्त विधिपूर्वक स्थापित करें यदि आपके घर में श्रीफल कलश उग जाता है तो वहाँ सुख एवं समृद्धि के साथ स्वयं लक्ष्मी जी नारायण के साथ निवास करती हैं तुलसी का पूजन भी आवश्यक है।. मकड़ी के जाले एवं दीमक से घर को सर्वदा बचावें अन्यथा घर में भयंकर हानि हो सकती है।. घर में झाड़ू कभी खड़ा कर के न रखें झाड़ू लांघना, पाँव से कुचलना भी दरिद्रता को निमंत्रण देना है दो झाड़ू को भी एक ही स्थान में न रखें इससे शत्रु बढ़ते हैं।. घर में किसी परिस्थिति में जूठे बर्तन न रखें। क्योंकि शास्त्र कहते हैं कि रात में लक्ष्मीजी घर का निरीक्षण करती हैं यदि जूठे बर्तन रखने ही हो तो किसी बड़े बर्तन में उन बर्तनों को रख कर उनमें पानी भर दें और ऊपर से ढक दें तो दोष निवारण हो जायेगा।. कपूर का एक छोटा सा टुकड़ा घर में नित्य अवश्य जलाना चाहिये, जिससे वातावरण अधिकाधिक शुद्ध हो: वातावरण में धनात्मक ऊर्जा बढ़े।घर में नित्य घी का दीपक जलावें और सुखी रहें।. घर में नित्य गोमूत्र युक्त जल से पोंछा लगाने से घर में वास्तुदोष समाप्त होते हैं तथा दुरात्माएँ हावी नहीं होती हैं।. सेंधा नमक घर में रखने से सुख श्री(लक्ष्मी) की वृद्धि होती है।साबुत धनिया, हल्दी की पांच गांठें,11 कमलगट्टे तथा साबुत नमक एक थैली में रख कर तिजोरी में रखने से बरकत होती है श्री (लक्ष्मी) व समृद्धि बढ़ती है।दक्षिणावर्त शंख जिस घर में होता है,उसमे साक्षात लक्ष्मी एवं शांति का वास होता है वहाँ मंगल ही मंगल होते हैं पूजा स्थान पर दो शंख नहीं होने चाहिये।. घर में यदा कदा केसर के छींटे देते रहने से वहाँ धनात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है पतला घोल बनाकर आम्र पत्र अथवा पान के पत्ते की सहायता से केसर के छींटे लगाने चाहिये।. एक मोती शंख, पाँच गोमती चक्र, तीन हकीक पत्थर, एक ताम्र सिक्का व थोड़ी सी नागकेसर एक थैली में भरकर घर में रखें श्री (लक्ष्मी) की वृद्धि होगी।. घर में पूजा पाठ व मांगलिक पर्व में बाये कंधे पर गमछा रखना चाहिये।

कैसे करें पूजा । वनिता कासनियां पंजाब द्वारा पूजा हमेशा पूर्व या उत्तर की ओर मुँह करके करनी चाहिये, हो सके तो सुबह 6 से 8 बजे के बीच में करें। पूजा जमीन पर आसन पर बैठकर ही करनी चाहिये, पूजागृह में सुबह एवं शाम को दीपक,एक घी का और एक तेल का रखें। . पूजा अर्चना होने के बाद उसी जगह पर खड़े होकर 3 परिक्रमाएँ करें। पूजाघर में मूर्तियाँ 1 ,3 , 5 , 7 , 9 ,11 इंच तक की होनी चाहिये, इससे बड़ी नहीं तथा खड़े हुए गणेश जी, सरस्वतीजी, लक्ष्मीजी, की मूर्तियाँ घर में नहीं होनी चाहिये। . गणेश या देवी की प्रतिमा तीन, तीन शिवलिंग, दो शालिग्राम, दो सूर्य प्रतिमा, दो गोमती चक्र। दो की संख्या में कदापि न रखें। अपने मन्दिर में सिर्फ प्रतिष्ठित मूर्ति ही रखें उपहार, काँच, लकड़ी एवं फायबर की मूर्तियाँ न रखें एवं खण्डित, जलीकटी फोटो और टूटा काँच तुरन्त हटा दें, यह अमंगलकारक है एवं इनसे विपतियों का आगमन होता है। मन्दिर के ऊपर भगवान के वस्त्र, पुस्तकें एवं आभूषण आदि भी न रखें मन्दिर में पर्दा अति आवश्यक है अपने पूज्य माता-पिता तथा पित्रों का फोटो मन्दिर में कदापि न रखें विष्णु की चार, गणेश की तीन, सूर्य की सात, दुर्ग...